दुमका में पेट्रोल डालकर जला दी गई छात्रा अंकिता के परिवार ने सरकार द्वारा दिया गया नियुक्ति पत्र वापस लौटा दिया है. कारण, नियुक्ति पत्र सरकारी नौकरी का न होकर चपरासी पद के लिए 11 महीने के कॉन्ट्रैक्ट वाली नौकरी का था. जिससे नाराज पीड़ित परिवार ने नियुक्ति पत्र उपायुक्त को वापस कर अपनी बेटी के लिए न्याय और पीड़िता की बड़ी बहन के लिए सरकारी नौकरी की मांग की है. दरअसल, रविवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक बसंत सोरेन ने पीड़ित परिवार के घर जाकर सांत्वना दी और पीड़िता की बड़ी बहन को नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा था.
https://facebook.com/462388605905286
परिवार वालों का कहना है कि उस समय उन्होंने इस नियुक्ति पत्र को ध्यान से देखा ही नहीं. उन्हें मालूम था कि उपभोक्ता फोरम में नौकरी दी गई है. लेकिन जब उपभोक्ता फोरम में जाकर पीड़िता के पिता ने जानकारी ली तो पता लगा कि आउटसोर्सिंग के जरिए उनकी बेटी को चपरासी की नौकरी दी गई है. यहां फोरम के कर्मियों ने जानकारी दी कि उनको 7-8 महीनों से वेतन भी नहीं मिला है. उनकी बातों से पीड़ित सन्न रह गए. उन्हें लगा था कि विधायक ने सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र सौपा हैं, लेकिन वह प्राइवेट नौकरी निकली और वह भी 11 महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर.
नाराज परिवार ने बाद में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के ऑफिस जाकर नियुक्ति पत्र को वापस कर दिया. इस मामले पर स्थानीय महिलाओं ने भी अपना विरोध जताया है. वहीं पीड़ित परिवार का कहना कि अब पहले उनकी बेटी को न्याय दिया जाए और आरोपी को फांसी पर लटकाया जाए. इसके बाद में उनकी बेटी को सरकारी नौकरी दी जाए.
क्या बोले अधिकारी
इस मामले पर दुमका के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर रविशंकर शुक्ला ने जानकारी दी कि लड़की की उम्र अभी 18 साल नहीं हुई है. 18 साल होने पर उसे दुमका पुस्तकालय में डाटा एंट्री की नौकरी दी जाएगी. हांलाकि इन बातों को वे कैमरे पर बोलने के लिए तैयार नहीं हुए.
Source : AajTak