Samridh Samachar
News portal with truth
- Sponsored -

- Sponsored -

ग्लोबल पहचान के लिए है तैयार है ‘भोलेबाबा का प्रसाद’, जीआई टैग की दावेदारी

323
Below feature image Mobile 320X100

देवघर : देवघर में देश-दुनिया का कोई व्यक्ति आये और उसकी जुबान पर यहां के पेड़े का जायका न चढ़े, यह हो नहीं सकता। अब यहां का मशहूर और स्वादिष्ट पेड़ा बहरीन-कुवैत जैसे खाड़ी देशों के लोगों को भी अपना दीवाना बना रहा है। दो महीने पहले इसे इंटरनेशनल मार्केट में बेचने का लाइसेंस हासिल हो गया है। इसे जीआई (ज्योग्राफिल इंडिकेशन) टैग दिलाने के लिए दावेदारी भी पेश की गयी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इसकी विशिष्ट पहचान को मान्यता मिल जायेगी। देवघर में नवनिर्मित इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होने वाला है। जाहिर है, इसके साथ यहां का पेड़ा ऊंची उड़ान भरकर देश-विदेश में कोने-कोने में पहुंचने लगेगा।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शंकर के कुल 24 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा वैद्यनाथ का धाम देवघर है, जहां हर साल तकरीबन दो से ढाई करोड़ श्रद्धालु-सैलानी पहुंचते हैं। यहां महीने भर चलनेवाला श्रावणी मेला इस बार आगामी 14 जुलाई को शुरू हो रहा है, जिसमें करीब 80 लाख से एक करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। बाबाधाम पेड़ा ट्रेडर्स एसोसिएशन (बीपीटीए) के एक सदस्य बताते हैं कि श्रावणी मेले के दौरान लगभग दस हजार टन पेड़े का कारोबार होने की संभावना है। वह इस अनुमान के पीछे सीधा गणित समझाते हैं।

विज्ञापन

विज्ञापन

125 करोड़ का सालाना कारोबार
मेले में 80 लाख से एक करोड़ लोग पहुंचेंगे। यहां से लौटते वक्त प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में कम से कम एक से लेकर पांच किलोग्राम तक पेड़े भी पैकेट भी जरूर होगा। प्रति किग्रा 280 से 300 रुपये की दर से हिसाब लगाने से यह कारोबार महीने भर में 50 से 60 करोड़ रुपये का बैठता है। श्रावणी मेले के बाद भी सालों भर देश-विदेश से श्रद्धालुओं और सैलानियों का यहां आगमन होता है और इनकी बदौलत पेड़े का मौजूदा सालाना कारोबार लगभग 125 करोड़ का है। धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ पेड़ा ने देवघर को वैश्विक पहचान दिलायी है। यह देवघर नगर सहित बासुकिनाथ, जसीडीह, घोड़मारा जैसे उपनगरों की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा आधार भी है।

बाबाधाम पेड़ा की ब्रांडिंग पर किया जा रहा काम
देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री बताते हैं कि जिला प्रशासन की ओर से बाबाधाम पेड़ा की ब्रांडिंग और इसेइंटरनेशनल मार्केट में प्रमोट करने के लिए बकायदा योजनाबद्ध तरीके से प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में झारखंड सरकार की मेधा डेयरी की ओर से यहां उत्पादित पेड़े को इंटरनेशनल मार्केट में बेचने का लाइसेंस प्राप्त हो गया है। बहरीन और कुवैत में पेड़े की खेप भेजी गयी है, जिसे बहुत पसंद किया गया है। इंटरनेशनल मार्केटिंग में क्वालिटी पारामीटर, पैकेजिंग स्पेसिफिकेशन, लॉजिस्टिक अरेंजमेन्ट आदि का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

बाबाधाम में है 400 पेड़े की दुकान
देवघर के बाबाधाम मंदिर के करीब में ही तीन-चार सौ पेड़ा की दुकानें हैं। देवघर से कोई 20-22 किलोमीटर दूर बासुकीनाथ के रास्तें में घोड़ामारा का पेड़ा सबसे ज्यादा मशहूर है। यहां पेड़े की कोई पांच-छह सौ दुकानें हैं। देवघर के स्थानीय बताते हैं कि कि यहां सुखाड़ी मंडल की सौ साल पुरानी दुकान है। वह शुरूआत में चाय और पेड़ा बेचते थे। उनकी दुकान मशहूर हुई तो इस नाम से कुछ और भी दुकानें खुल गई हैं। खोए और गुड़ से बनाया जाने वाला यहां का बढि़या पेड़ा 10 से 12 दिनों तक बगैर रेफ्रिजरेशन के भी सुरक्षित और खाने के लायक रहता है। सबसे दिलचस्प बात यह कि बाबा वैद्यनाथ के मंदिर में पेड़ा प्रसाद के रूप में नहीं चढ़ता, लेकिन श्रद्धालु यहां से प्रसाद के रूप में मुख्य रूप से पेड़ा ही लेकर लौटते हैं। दरअसल पेड़े में बाबा मंदिर में चढ़ाया जानेवाला नीर मिलाया जाता है और इसी वजह से इसे बाबा का महाप्रसाद माना जाता है।

href="https://chat.whatsapp.com/IsDYM9bOenP372RPFWoEBv">

ADVERTISMENT

GRADEN VIEW SAMRIDH NEWS <>

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Before Author Box 300X250