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42 लाख से बने स्वास्थ्य उप केंद्र का सूरत-ए-हाल, शुरुआत से पहले बदहाल

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जमुआ : टूटे खिड़की के शीशे, बाथरूम से गायब होते दरबाजे, कीचड़मय रास्ते ये सूरत ए हाल है 42 लाख की लागत से बने स्वास्थ्य उपकेंद्र का और जगह है जमुआ प्रखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर स्थित टिकामगहा पंचायत का गोलोडीह गांव। अब जरा सरकारी खजाने की बर्बादी की कहानी सुनिए वर्ष 2016 में स्वास्थ्य उपकेंद्र बनने के बाद आज तक इसकी शुरुआत नहीं हो पाई है और यह केंद्र अब बदहाली की आंसू बहा रहा है। उपकेंद्र बनने से ग्रामीण खुश थे कि बीमार होने पर इलाज मिलेगा। मगर मरीजों का इलाज के लिए बना उपकेंद्र खुद बीमार है। वहीं सम्बंधित महकमा चैन की नींद सो रहा है। हालत ये है कि 42 लाख का बिल्डिंग अब जुआरियों व शराबियों का अड्डा बन चुका है।

ये है 42 लाख की योजना का लाभ

जिस जगह पर स्वास्थ्य उपकेंद्र बना है। उस गांव में सड़क तक नहीं है। कीचड़मय कच्चे रास्ते हैं। अब आप लाभ जानिए बिल्डिंग बनकर बदहाल है। मगर कोई बीमार पड़ता है तो उसे खाट से 2, 3 किलोमीटर दूर ले जाना पड़ता है फिर किसी वाहन के जरिये उसे जमुआ ले जाना पड़ता है।

ध्यान दे सरकार

ग्रामीणों का कहना है कि इतने वर्ष गुजर गए। सरकार बदल गई। मगर नहीं बदली तो यहां की सूरत। ग्रामीण अपनी समस्या बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री से इस ओर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं।

उपकेंद्र के चालू नहीं होने से ये गांव होते हैं प्रभावित

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बताया जाता है कि सवईटांड़, धारासिंघा टांड़, पोबी, भाठाडीह, तेतरामो गांव उपकेंद्र के शुरू नहीं होने से प्रभावित है। कोई बीमार पड़ता है तो उसे सीधा जमुआ लेकर जाना पड़ता है।

उपर से ही नहीं आया है पोस्ट

इधर बेकार बदहाल पड़े स्वास्थ्य उप केंद्र के बाबत जमुआ चिकित्सा प्रभारी राजेश कुमार दुबे बताते हैं कि अभी उपर से ही यहां के लिए सेंशन पोस्ट नहीं आया है। उपकेंद्र के लिए 2 एएनएम, फार्मासिस्ट, ड्रेसर ये सब की जरूरत है।

सेंशन पोस्ट आएगी तो कर देंगे चालू

उनका कहना है कि जब सेंशन पोस्ट आजायेगी तब इसे चालू कर देंगे, ताकि ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सके।

आखिर कब शुरू होगा उपकेंद्र

इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। जरूरी आवश्यकताएं जब नहीं पूरी होगी इसे शुरू नहीं किया जा सकता है। अब उपकेंद्र के बने और बदहाल हुए केवल 5 वर्ष ही हुए हैं। स्वास्थ्य महकमा का कब इस ओर ध्यान जाएगा ये भविष्य के गर्भ में है। वहीं गिरिडीह जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी बेहतर हाल में है आप भी समझ सकते हैं। पिछले दिनों हमने आपको दिखाया था कि कैसे एक स्वास्थ्य केंद्र बिना मशीनों, दवाई की कमियों और मैनपावर के समस्या से बदहाल है और अब यह उपकेंद्र जो 5 वर्षों से बनने के बाद शुरुआत होने के इंतजार में खुद बीमार हाल है। महकमें को इस ओर ध्यान देने की दरकार है।

रिपोर्ट : दीपक कुमार

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