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छठ महापर्व का तीसरा दिन- सूर्यदेव का पड़ेगा पहला अर्घ्‍य

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गिरिडीह: छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य दिया जाएगा सूर्यदेव को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य षष्ठी यानी कि छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसीलिए संध्या अर्घ्य देने से प्रत्यूषा को अर्घ्य प्राप्त होता है. प्रत्यूषा को अर्घ्य देने से लाभ मिलता है. मान्यता यह भी है कि संध्या अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन , वैभव की प्राप्ति होती है.

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संध्या अर्घ्य ऐसे दिया जाता है

संध्या अर्घ्य देने के लिए शाम के समय सूप में बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और कुछ फल लिए जाते हैं. पूजा का सूप सजाया जाता है. लोटे में जल एवं दूध भरकर इसी से सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है. इसके साथ ही सूप की सामग्री के साथ भक्त छठी मैया की भी पूजा अर्चना करते हैं. रात में छठी माई के भजन गाये जाते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है.

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