Samridh Samachar
News portal with truth
- Sponsored -

- Sponsored -

छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना, दिनभर निर्जला व्रत के बाद ग्रहण करेंगी प्रसाद, जानें खरना के नियम

212
Below feature image Mobile 320X100

हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के साथ छठ पर्व आरंभ हो जाता है, जो सप्तमी तिथि को सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। आस्था का महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना किया जाता है। इस दिन का काफी अधिक महत्व होता है, क्योंकि इस दिन विशेष प्रकार का प्रसाद बनाया जाता है। आइए जानते हैं खरना का महत्व और नियम…

छठ खरना 2024 तिथि
छठ महापर्व का दूसरा दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना होता है। बता दें कि आज 6 नवंबर को खरना पड़ रहा है।

विज्ञापन

विज्ञापन

क्या है खरना?
इस दिन व्रत निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को स्नान करने के बाब छठी मईया की विधिवत पूजा करती है। इसके बाद प्रसाद ग्रहण करने के बाद करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है। इस दिन गुड़, खीर और रोटी का भोग लगाया जाता है। इस दिन आरंभ हुई व्रत सप्तमी तिथि के अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है।

खरना के नियम
छठ के काफी कठोर नियम माने जाते हैं। इस दिन नए मिट्टी के चूल्हे में पीतल के बर्तन में गुड़ की खीर बनाई जाती है। खीर के अलावा इस दिन ठेकुआ भी बनाए जाते हैं।
खरना में प्रसाद सिर्फ व्रती ही बनाती हैं। इसे बाद में व्रती प्रसाद के रूप में ग्रहण करने के साथ दूसरों को बांटा जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
खरना का प्रसाद बनाते समय शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है।
प्रसाद बनाते समय न उसे जूठा किया जाता है और न ही इसे गंदे हाथों से छुआ जाता है। बनाते समय पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाता है।
छठी माई को चढ़ाई जाने वाली हर एक चीज अखंडित होती है। फिर चाहे वो फूल और फल ही क्यों न हो, जिसे पक्षी ने खाकर जूठा किया हो।
पूजा के दौरान नए वस्त्र धारण किया जाता है। इसके साथ ही साड़ी भी खंडित न हो। इस कारण सुई वगैरह से फॉल आदि नहीं लगाए जाते हैं।
व्रती महिलाओं को बिस्तर आदि में सोने की मनाही होती है। जमीन में चटाई बिछाकर सोना होता है।

href="https://chat.whatsapp.com/IsDYM9bOenP372RPFWoEBv">

ADVERTISMENT

GRADEN VIEW SAMRIDH NEWS <>

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Before Author Box 300X250