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किसान मंच का 38 वें दिन भी जारी रहा धरना,सत्ता और विपक्ष दलों के नेताओं का मिल रहा है समर्थन

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गिरिडीह : मैं अकेला चला था जानिब-ए-मंजिल मगर,लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया, मजरूह सुल्तानपुरी की यह शयारी भारतीय लोकतंत्र में कई आंदोलन का अधार रहा है। गिरिडीह जिला अभिलेखागार से बगैर रिश्वत दिए रजिस्टर 2 और खतियान के नकल के लिए किसान मंच के द्वारा छेड़े गए आंदोलन में भी मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी सार्थक होती दिखती है।38 दिन से जारी यह अनिश्चितकालीन धरना में लोगों का जुड़ाव धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है।

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आंदोलन के सूत्रधार रहे किसान मंच के संयोजक अवधेश सिंह ने कभी यह नहीं सोचा होगा की किसान हित में एक छोटी सी मांग को जिला प्रशासन पुरा नहीं करवा पाएगा। आंदोलन से किसानों के जुड़ाव को देखते हुए अब राजनीतिक दल के कई नेता इस आंदोलन को अपना समर्थन देने में जुट गए हैं। गुरुवार को भी गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार ने किसान मंच के लोगों से धरना स्थल पर जा कर मुलाकात की और उनकी मांगो को पुरा करने का आश्वासन दीया। इधर आजसू के जिला अध्यक्ष गुड्डू यादव और कांग्रेस नेता अंजनी सिन्हा ने धरना स्थल पर आकर किसान मंच के लोगों का समर्थन किया और उनकी मांगों को जायज ठहराते हुए गिरिडीह जिला प्रशासन और सरकार से तत्काल पूरा करने की मांग की।बहरहाल भारत की 80% आबादी गांव में बसती है और उनका मूल पैसा किसानी है,भारतीय लोकतंत्र में चुनाव के वक्त किसानों की भूमिका किसी से छुपी नहीं है ऐसे हालात में कोई भी दल किसानों का कोप भाजन बनना नहीं चाहता।इसलिए सभी राजनीतिक दल के लोग बारी बारी से इस धरना स्थल पर आकर अपना समर्थन देने में जुटे हैं। लेकिन 38 दिन से जारी इस अनिश्चितकालीन धरना का अंजाम क्या होगा फिलहाल यह भविष्य के गर्त में छिपा है।

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