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BJP के लिए झारखंड में 9 और 12 का आंकड़ा ‘अनलकी’, क्या 4 का नंबर आएगा काम?

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नया राज्य बनने के बाद झारखंड में पहली बार 2005 में विधानसभा चुनाव कराए गए थे. तब बीजेपी ने 63 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे जिसमें उसे 30 सीट पर जीत मिली. लेकिन 2009 में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. 2005 की तुलना में उसकी 12 सीटें कम हो गईं.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) झारखंड में 5 साल के इंतजार को साल 2024 के चुनाव में खत्म करने की कोशिश में है, लेकिन इसके लिए उसे इंडिया गठबंधन की चुनौती से पार पाना होगा. साथ ही यह भी देखना होगा कि पार्टी झारखंड में अपने ‘अनलकी’ 12 के आंकड़े से दूर ही रहे. पार्टी 12 के आंकड़े से दूर रहते हुए 14 वाले आंकड़े को छूना चाहेगी. झारखंड में 14 वाला आंकड़ा उसके लिए सुखद रहा था और पहली बार राज्य में किसी सरकार (सीएम रघुवर दास) ने अपने 5 साल पूरे भी किए थे.

झारखंड को साल 2000 के नवंबर में बिहार से अलग करते हुए नए राज्य के रूप में सृजित किया गया. तब यहां पर बिहार विधानसभा के लिए चुनाव कराया गया था. साल 2005 में पहली बार नए राज्य के रूप में देश के नक्शे पर आए झारखंड में विधानसभा चुनाव कराया गया. अब तक यहां पर हुए 4 चुनावों में साल 2014 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए बेहद शानदार रहा क्योंकि पहली बार उसने यहां पर बढ़िया प्रदर्शन किया था.

2005 की तुलना में कम हुईं 12 सीटें
81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में 2014 में हुए चुनाव में बीजेपी ने 72 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें उसे 37 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि एक सीट पर जमानत भी जब्त हो गई थी. साथ ही पार्टी का वोट शेयर (31.8 फीसदी) भी काफी बढ़ गया था. लेकिन पार्टी के साथ 9 और 12 का आंकड़ा ‘अनलकी’ साबित हुआ. राज्य में हुए पिछले 4 चुनावों के परिणाम को देखें तो यह एक नहीं बल्कि 2-2 बार हुआ.

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झारखंड में पहली बार 2005 में विधानसभा चुनाव कराए गए थे. तब पार्टी ने 63 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे जिसमें उसे 30 सीट पर जीत मिली. लेकिन 2009 में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. 2005 की तुलना में 2009 के चुनाव में उसकी 12 सीटें कम हो गईं और उसे सत्ता से दूर होना पड़ा. तब उसने 67 सीटों पर किस्मत आजमाई थी, लेकिन उसे महज 18 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा.

2019 के चुनाव में भी कम हो गईं 12 सीटें
साल 2009 में मिली शिकस्त के बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अब तक की शानदार जीत हासिल हुई. 72 सीटों में से 37 सीटों पर उसके प्रत्याशियों को जीत मिली. बीजेपी पहली बार बहुमत के साथ सरकार बनाने में भी कामयाब रही. चुनाव में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के 8 में से 6 विधायक 2015 की शुरुआत में बीजेपी में शामिल हो गए. बाद में विधानसभा स्पीकर ने इस विलय को अपनी मान्यता भी दे दी, जिससे राज्य में रघुवर दास की सरकार की स्थिति और मजबूत हो गई. रघुवर ने पूरे 5 साल अपनी सरकार चलाई और वह झारखंड में ऐसे करने वाले पहले मुख्यमंत्री भी बने.

लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी के लिए एक बार फिर 9 और 12 का आंकड़ा अशुभ साबित हुआ. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने काफी मेहनत की, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा. साथ ही 2014 की तुलना में उसकी 12 सीटें फिर से कम हो गईं. इससे पहले 2009 में भी बीजेपी की 12 सीटें कम हुई थीं, अब 2019 में भी उसकी इतनी ही सीटें कम हो गईं.

2019 में कम हुई सीटें, लेकिन बढ़ा वोटिंग %
साल 2019 में बीजेपी ने पहली बार 79 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन 12 सीटों के नुकसान के साथ वह महज 25 पर सिमट गई. हालांकि बीजेपी के लिए राहत की बात यह रही कि उसके वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ और पहली बार 33 फीसदी से अधिक वोट अपने नाम कर लिया.

अब देखना है कि बीजेपी 2024 के चुनाव में 2014 वाला ऐतिहासिक प्रदर्शन को दोहरा पाती है या फिर 2009 और 2019 के ‘अनलकी 12’ के संयोग के साथ परिणाम हासिल करती है.

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