आजादी के बाद पहली बार किसी महिला को उसके किए अपराध के लिए फांसी पर लटकाया जाएगा। इसके लिए मथुरा की जेल में तैयारियां शुरू हो चुकी है। जहां पवन जल्लाद द्वारा फांसी दी जाएगी। बता दें कि दोषी महिला शबनम है। मामला 2008 का है। जब अमरोहा की रहने वाली शबनम ने अप्रैल महीने में प्रेमी के साथ मिलकर अपने परिवार के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी।
इस मामले में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट तक ने बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट के बाद राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई गई। मगर राष्ट्रपति भवन ने भी याचिका को खारिज कर दी है।
150 साल पहले महिलाओं के लिए मथुरा में बना था फांसीघर
यहां जानने वाली बात है कि आजादी के पूर्व करीब 150 साल पहले महिलाओं के लिए मथुरा की जेल में फांसीघर बनवाया गया था। हालांकि अबतक वहां किसी को फांसी नहीं दी गई है।
यह है पूरा घटनाक्रम
यूपी के अमरोहा जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर हसनपुर थाना क्षेत्र के बावनखेड़ी गांव में 14/15 अप्रैल की रात उस समय हडकंप मच गया। जब एक ही परिवार के सात लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गयी। घर में सिर्फ एक 25 वर्षीय लड़की बची,जिसका नाम शबनम था। घटना का अंदाजा इसी से लगा लीजिये कि खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती भी अगले दिन ही गांव पहुंच गयीं थी और जल्द खुलासे के निर्देश स्थानीय अधिकारीयों को दिए थे।
शबनम ने सलीम के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार का सफाया कर दिया। तब वह 7 सप्ताह की गर्भवती थी। शुरुआत में उसने यह दलील देकर खुद को बचाने की कोशिश की कि लुटेरों ने उसके परिवार पर हमला कर दिया था और बाथरूम में होने की वजह से वह बच निकलने में कामयाब रही थी। लेकिन परिवार में चूंकि वही एकमात्र जिंदा बची थी, इसलिए पुलिस का शक उस पर गया और कॉल डिटेल खंगाली गई तो सच आखिर सामने आ गया।
दरअसल शबनम के परिवार को इन दोनों का ये रिश्ता मंज़ूर नहीं था। विरोध में शबनम ने मौका देखकर सलीम के साथ प्लानिंग कर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम, भतीजे अर्श और फुफेरी बहन राबिया की हत्या को अंजाम दे दिया।पहले इन दोनों ने सबके खाने में कुछ मिलाया और उसके बाद एक धारदार कुल्हाड़ी से एक के बाद एक, पूरे परिवार की हत्या कर दी थी।