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हर संकट का समाधान निकलेग: डॉ पी हाजरा

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गिरिडीह : कोविड19 महामारी ने दुनिया भर के शिक्षण एवं शैक्षणिक प्रणाली को काफी हद तक प्रभावित किया है। ऐसे में छात्रों की सुरक्षा के लिहाज से विभिन्न शिक्षण संस्थानों ने ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था के माध्यम से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का बीड़ा उठाया और ज्ञानार्जन के आदान-प्रदान की प्रक्रिया को गति प्रदान की। इस संक्रामक महामारी के बीच जिस तरह चिकित्सको, नर्सो, सेना के जवानों, अधिकारियो, मीडिया कर्मियों, आदि ने अदम्य साहस के साथ एक योद्धा की भांति महामारी से निपटने में लगे हैं। ठीक इसी प्रकार शिक्षक भी एक योद्धा के रूप में, बिना छुट्टी लिए छात्रों के भविष्य को संवारने में जी जान से जुटे हैं। परिस्थिति कैसी भी हो, यदि मनोस्थिति स्थिर कर निरन्तर प्रयास किया जाय तो किसी भी समस्या का हल मिल ही जाता है। कोरोना काल में आभासी शिक्षा वरदान सिद्ध हुई है। चूंकि यह एक नयी शिक्षण प्रणाली है, इसलिए शिक्षक की चुनौतियां महत्वपूर्ण है। ये बातें डीएवी पब्लिक स्कूल झारखंड (जोन एच) के क्षेत्रीय निदेशक सह प्राचार्य डॉ पी हाजरा ने कही ।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आभासी शिक्षा( ई लर्निंग) को एक बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। इस माध्यम से शिक्षक छात्रों से जुड़कर सुगमता से पठन पाठन का कार्य कर रहे हैं। इस दौर ने शिक्षकों के साथ छात्रों को भी तकनीकी के नए उपयोग से जोड़ दिया है। स्कूल, कॉलेज भले ही बंद है पर अध्यापन कार्य गतिमान है। पढ़ाई को रुचिकर बनाने की दिशा में नए नए रचनात्मक प्रयोग भी किए जा रहे हैं। ऑनलाइन कक्षा को स्कूली कक्षा के समान संचालित करवाने का प्रयास भी किया जा रहा है। यह कार्य शिक्षकों, अभिभावकों एवं विद्यार्थियों के आपसी सामंजस्य से साकार हो रहा है।

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श्री हाजरा ने कहा इस दिशा में कई प्रयास और भी किए जा रहे हैं। जिस प्रकार छात्र स्कूली कक्षा में शिक्षा ग्रहण करते थे, उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछते थे, उसी प्रकार आंनलाइन कक्षा के संचालन की कवायद की जा रही हैं। इस प्रयास में शिक्षण संस्थान काफी हद तक सफल भी हुए हैं। कक्षावार रूटीन के सहयोग से स्कूली कक्षा की तरह घर बैठे छात्रों को आंनलाइन कक्षा में अनुशासित ढंग से पढ़ाया जा रहा है। उपस्थिति ली जा रही है, उपस्थिति का विवरण रखा जा रहा है। अनुपस्थित छात्रों के अभिभावकों से निरंतर सम्पर्क कर नेटवर्किंग आदि समस्याओं के निराकरण का समाधान तलाशने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि छात्र आंनलाइन कक्षा में नियमित रूप से सम्मिलित हों। छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न करने के उद्देश्य से प्रत्येक शनिवार पढ़ाए गए विषय की मौखिक एवं लिखित परीक्षा ली जाती है और उनका मूल्यांकन किया जाता है। साथ ही छात्रों की साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट तैयार कर, अभिभावकों को सूचित भी किया जाता है।
विगत वर्ष की तरह, इस वर्ष भी ऑनलाइन, मंथली टेस्ट, यूनिट टेस्ट, टर्मिनल टेस्ट लिया जा रहा है। इससे छात्रों में निरंतरता बनी है और वे अपनी पढ़ाई के प्रति सजग है। शिक्षक बड़े समर्पण भाव से एक भी छुट्टी लिए बिना जी जान से पाठ्यक्रम को पूरा करवाने में लगे हैं। छात्रों को बेहतर से बेहतर पाठ्य सामग्री पी डी एफ तथा अन्य उपलब्ध संसाधनों से उपलब्ध करवा रहे हैं। इस वर्ष दसवीं और बारहवीं के छात्र ऑनलाइन शिक्षा से काफी लाभान्वित हुए हैं, इससे अर्जित ज्ञान उन्हें आगे की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल करने में काफी मदद करेगा।विद्यालय प्रबंधन समय समय पर ऑनलाइन कक्षा की निगरानी करता है। साथ ही सीबीएसई एवं डीएवी संस्थान के द्वारा समय-समय पर नई तकनीकी के सहयोग से शिक्षको की गुणवत्ता को निखारने के लिए संगोष्ठी एवं कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाता।
उन्होंने कहा कि सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के तहत छात्रों के संपूर्ण विकास के लिए समय समय पर पाठ्य सहगामी क्रियाएं चित्रकला, चित्रांकन, निबंध लेखन, लघुकथा लेखन, भाषण, वाद-विवाद, नृत्य, गायन-वादन प्रतियोगिताएं आंनलाइन आयोजित की जा रहीं हैं। शारीरिक विकास की दृष्टि से योगा, आसन, प्राणायाम, रस्सी कूद, प्रतियोगिता भी आंनलाइन शिक्षा के माध्यम संपन्न की जा रही है। ऑनलाइन प्रतियोगिताएं कक्षा के अतिरिक्त आयोजित की जाती हैं ताकि छात्रों का मनोबल बना रहे और वे खाली समय का सदुपयोग कर सकें।
निदेशक श्री हाजरा ने कहा कि आन लाइन शिक्षण प्रणाली के माध्यम से हम छात्रों के उत्तरोत्तर विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इस आपातकालीन स्थिति में छात्रों के सर्वांगीण विकास की जिम्मेदारी को सार्थक ढंग से निभा पाने का हर संभव प्रयास भी कर रहे हैं। शिक्षा, शारीरिक रूप से योगा, प्रणायाम और अन्य पाठ्यक्रम गतिविधियों में शारीरिक और मानसिक रूप से छात्रों को शामिल करवाकर चहुमुखी विकास के लिए जी जान से लगे हैं। आभासी शिक्षा को आंफलाइन शिक्षा के विकल्प के तौर पर नहीं बल्कि अनुप्रयोग के रूप में परिस्थितिजन्य परिणाम से उत्पन्न माध्यम के रूप में देखा जा सकता है। यह बात भी सही है कि आंनलाइन कक्षाओं में छात्र खेलकूद में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं, मंचों पर अपनी अभिव्यक्ति को आकार नहीं दे पा रहे तथा जैसे विद्यालयी परिवेश में अपने मित्रों से मिलते थे, बातचीत करते थे, ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। इसका छात्रों पर मनोवैज्ञानिक रूप से काफी बुरा असर पड़ रहा है। भविष्य में इसका प्रभाव दूरगामी होगा। आने वाले समय में आंनलाइन शिक्षा के दखल से शिक्षण संस्थान डिजिटल हो जाएंगे। परिणामत: घर बैठे शिक्षा प्राप्त करना संभव हो जाएगा। लेकिन ऑफलाइन कक्षा से वंचित होकर छात्रों के सर्वांगीण विकास में बाधा आ रही है।

इस पर विचार करना अत्यंत आवश्यक है। भले ही किताबें डिजिटल हो जाएंगी लेकिन शिक्षकों की महत्ता वही रहेगी जो आज है। ऐसे में समय की मांग है कि शिक्षकों और अभिभावकों के सक्रिय संपर्क और सहयोग से ही छात्रों के जीवन में आई समस्या को अवसर के रूप में बदला जा सकता है। तो ऐसे समय में आइए आत्ममंथन और चिंतन करें तथा नई ऊर्जा नई स्फूर्ति के साथ नए भारत के निर्माण की ओर एक कदम और बढ़ाएं।

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