विरोध में फूंका प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक का पुतला
गिरिडीह : पारसनाथ पहाड़ को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पर्यटन स्थल बनाए जाने के मुद्दे पर जैन समुदाय के प्रदर्शन के बाद अब आदिवासी समुदाय भी आंदोलन पर उतर आया है. आदिवासी समुदाय ने पारसनाथ पहाड़ पर अपना दावा करते हुए मंगलवार को जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के पूर्व सोमवार की शाम दुकानों को बंद रखने का आह्वाहन किया गया था. जिसके मद्देनज़र प्रायः दुकानें प्रदर्शन के दौरान बंद नज़र आई. वहीं मंगलवार की अहले सुबह से ही राज्य के विभिन्न जिलों व देश के कोने-कोने से आदिवासी समाज के लोग जुटने शुरू हो गए थे. इस विशाल प्रदर्शन में पूर्व सांसद सालखन मुर्मू, विधायक लोबिन हेम्ब्रम, गीताश्री उरांव, सूर्य सिंह बेसरा, जयराम महतो समेत अन्य कई दिग्गज भी शामिल थे. सबसे पहले हजारों हजार की संख्या में जुटे आदिवासी समाज के लोग एकजुट हुए और हाथों में तीर-धनुष भाला और डुगडुगी लिए जुलूस की शक्ल में जोरदार नारेबाजी करते हुए पहाड़ पर स्थित मरांग बुरु दिशोम जाहिर थान पहुंचे और यहां पूजा अर्चना करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और विधायक सुदिव्य कुमार सोनू का पुतला फूंका.
इसके बाद सभी वापस मधुबन थाना स्थित फुटबॉल ग्राउंड में जमा हुए जहां विशाल जनसभा की गयी. जनसभा में झारखंड के आदिवासी समुदाय ने दावा किया है कि पूरा पहाड़ उनका है. यह उनका मरांग बुरु यानी बूढ़ा पहाड़ है. ये उनकी आस्था का केंद्र है. यहां वे हर साल आषाढ़ी पूजा में सफेद मुर्गे की बलि देते हैं. इसके साथ छेड़छाड़ उन्हें मंजूर नहीं होगी. कहा गया कि सरकार पारसनाथ पहाड़ को मरांग बुरु स्थल घोषित करें. अगुवायों ने कहा कि यदि जल्द इस दिशा में पहल नहीं की जाती है तो बृहत रूप से आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा.
इधर महाजुटान कार्यक्रम को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तेद थी, पुरे इलाके में विधि व्यवस्था को लेकर 13 मजिस्टेट नियुक्त किए गए थे. वहीं चप्पे चप्पे पर काफी संख्या में पुलिस जवानों की तैनाती की गयी थी. इसके साथ ही मोनिटरिंग के लिए कई ड्रोन व सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे.