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सुदूरवर्ती गांव लक्षमीबथान में आजादी के 70 साल बाद भी नहीं पहुंची सरकार की विकास योजना, सड़क,पानी,शिक्षा जैसे मूलभूत जरूरतों के लिए तरस रहे हैं ग्रामीण

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गिरिडीह : दुनिया मंगल ग्रह पर नई बस्ती बसाने की तैयारी में है।लेकिन गिरिडीह जिले का अति नक्सल प्रभावित प्रखंड तिसरी के सुदूरवर्ती गांव लक्ष्मीबथान के लोग 21वीं सदी में भी नदी नाले के पानी पीने को मजबूर हैं। झारखंड में विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाले राजनेताओं के लिए यह आईना से कम नहीं है। झारखंड गठन के 20 साल बीत जाने के बावजूद कई ऐसे सुदूरवर्ती इलाको में आज भी लोग अपने पुराने परंपरागत जीवन जीने को मजबूर है। लक्ष्मीबथान के लोग बताते हैं कि गांव में एक भी चापाकल, कुआं नहीं है,जिस कारण 40 परिवार वाला या गांव पीने के पानी के लिए नदी नालों पर निर्भर है।

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गांव वालों ने बताया कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी गांव में सड़क बिजली, पानी और स्कूल की समस्या जस की तस बनी हुई है। कई बार चुनाव के वक्त नेताजी आकर वादा तो करते हैं लेकिन आज तक उनके गांव की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने बताया कि गर्मी और ठंड में तो किसी तरह नदी नालों का पानी लाकर वह अपनी प्यास बुझा लेते हैं। लेकिन बरसात के दिनों में उन्हें गंदा पानी पीने पर मजबूर होना पड़ता है।

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