गिरिडीह : अग्रणी पब्लिकेशन और गिरिडीह साहित्यिक बिरादरी के तत्वावधान में सोमवार को गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की 161वीं जयंती मनाई गई। नगर के अशोक नगर स्थित कथाकार डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ के आवास पर आयोजित जयंती समारोह में शहर के लेखक, कवि और साहित्यप्रेमियों ने सर्वप्रथम गुरुदेव की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी बद्री दास ने की।
इस अवसर पर वक्ताओं ने गुरुदेव के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी साझी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने की बात कही। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि गिरिडीह से रवीन्द्रनाथ ठाकुर का ऐतिहासिक संबंध रहा है। यहां पर उन्होंने अपनी कई प्रसिद्ध कविताओं, लेखों और बाल कहानियों की रचना की थी। गिरिडीह की उसरी नदी से तो उनका गहरा लगाव था। उनकी रचनाओं में इसका उल्लेख हुआ है। गिरिडीह से जुड़ी गुरुदेव की साहित्यिक विरासत और इतिहास को सहेज कर ही हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। मधुपुर के वरिष्ठ कवि डॉ उत्तम पीयूष लिखित गुरुदेव की कोलकाता से मधुपुर होते हुए गिरिडीह यात्रा का रोचक शोध आलेख पढ़कर सुनाया गया, जिसकी सभी ने सराहना की।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें लवलेश कुमार, प्रभाकर कुमार, अनंत शक्ति, रामकुमार सिन्हा, मोईनुद्दीन शमसी, रीतेश सराक, डॉ छोटू प्रसाद ने अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम में रचनाकारों के अलावा आलोक रंजन, तेजो मिस्त्री, सुधांशु कुमार और अन्य साहित्य प्रेमी शामिल थे।
जन संस्कृति मंच के राज्य परिषद सदस्य शंकर पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
‘कथा स्वर’ कहानी संग्रह का हुआ लोकार्पण
गुरुदेव जयंती कार्यक्रम के अवसर पर अग्रणी पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित साझा कहानी संग्रह ‘कथा स्वर’ का लोकार्पण भी किया गया। इस संग्रह में गिरिडीह के डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ, बद्री दास, आरती वर्मा, रामकुमार सिन्हा, प्रभाकर कुमार, मोईनुद्दीन शमसी, अनंत ज्ञान, परवेज शीतल, रीतेश सराक, महेन्द्र नाथ गोस्वामी, महेश वर्मा समेत देश के अन्य भागों के कुल 21 रचनाकारों की कहानियां और लघु कथा शामिल है। इस संग्रह का संपादन लेखक रीतेश सराक ने किया है।