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शहादत दिवस पर याद किए गए शहीद अशफाक उल्ला खान व रामप्रसाद बिस्मिल

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हिंदू मुस्लिम एकता की मिशाल थी दोनों की दोस्ती

गिरिडीह : पूरा देश बलिदान दिवस मना रहा है। आज ही के दिन काकोरी कांड के महानायकों को अलग-अलग जिलों में फांसी दी गई थी। काकोरी कांड के बाद शाहजहांपुर से तीन अमर शहीदों को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया था। अमर शहीदों पर यह चंद लाइनें बिल्कुल सटीक बैठती हैं। ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का बस यही बाकी निशां होगा’. यह अमर शहीद अशफाक उल्ला खां पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं, जो मुल्क की आजादी की खातिर हंसते हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। अशफाक उल्ला खां और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की दोस्ती हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है। इन शहीदों की कुर्बानी पर आज हर कोई फक्र करता है। शहीदी दिवस पर गिरिडीह में अशफाक उल्ला खां पंडित राम प्रसाद बिस्मिल चौक पर कार्यक्रम आयोजित कर महानायकों को श्रद्धांजलि दी गई।

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इस दौरान उनके जीवन और कुर्बानी को याद करते हुए उन्हें नमन किया गया। बताया गया कि इन्होंने नफरत भरे माहौल को खत्म करके आपसी भाईचारे का जो संदेश दिया वह आज मिसाल के रूप में कायम है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता साबिर अहमद खान ने किया। जबकि मौके पर राजा खान, संतोष लाल, निवास कुमार, मौलाना शाह आलम, नूरी अलाउद्दीन, मोहम्मद चांद, मोहम्मद इम्तियाज, मास्टर मकसूद आदि शामिल थे।

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