महासंयोग: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार वैसा ही महायोग जैसे द्वापर युग में श्री कृष्ण के जन्म के समय बना था.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : जन्माष्टमी पर इस वर्ष दुर्लभ महायोग बन रहा है. यह महायोग वैसा ही है जैसा कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय था.
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म तब हुआ था, जब तिथि अष्टमी थी, नक्षत्र रोहिणी था और समय अर्धरात्री की थी. इस बार भी यह योग है कि भगवान श्रीकृण की जन्माष्टमी तिथि अष्टमी को, नक्षत्र रोहिणी में और अर्धरात्रि को मनाई जाएगी. यह मुहुर्त ही इस बार मेल खा रहा है.

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हर बार गृहस्थ लोग तिथि अष्टमी और नक्षत्र कृतिका में जन्माष्टमी मनाते थे और वैष्णव तिथि अष्टमी और नक्षत्र रोहिणी में जन्माष्टमी मनाते थे. लेकिन, इस वष्र्ज्ञ द्वापर युग जैसा योग होने के कारण वैष्णव और गृहस्थ एक ही दिन जन्माष्टमी मनाएंगे.
इस शुभ मुहुर्त में बाल श्रीकृष्ण का सबसे पहले दूध से स्नान कराएं. फिर दही, घी और शहद से नहलाएं. अंत में गंगाजल से स्नान कराएं. इनका पंचामृत बनाकर प्रसाद ग्रहण करें.
जन्माष्टमी पूजा के तीन सर्वोत्तम योग :
जय योग: रात 12:13 बजे शुरू हो जाएगा
हर्षण योग: दिन 9:25 बजे से रात भर रहेगा
सर्वाथसिद्धि योग: शाम 6:41 बजे से शुरू