
विकाश मिश्रा / श्याम कुमार
गिरिडीह : तस्वीरों में दिख रहा यह बैनर आमजनों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए लगाया गया है. यह बैनर शहर के स्टेशन रोड में लगा है जिसमें बड़े बड़े अक्षरों में स्वच्छता को लेकर स्लोगन लिखा हुआ है. पहले आप उस स्लोगन को पढ़िए. वहीं अगर पुरे बैनर को गौर करें तो इसके किनारे पर स्वच्छ सर्वेक्षण का 2022 का जिक्र है. वहीं नीचे की तरफ उप महापौर की तस्वीर भी लगी हुई है. अब जरा इस बैनर के हिंग्लिश में लिखे स्लोगन को फिर पढ़िए बैनर में लिखा है “स्वच्छता की बनी आदत, स्वच्छ फ़ो रहा भारत”. जी हाँ सही पढ़ा आपने “स्वच्छ फो रहा भारत” आप सोचेंगे स्वच्छ फो रहा भारत या स्वच्छ हो रहा भारत, तो यहां सिर्फ हम यहीं कहना चाहेंगे की हम बोलेंगे तो बोलोगे की बोलता है. इसलिए हम कुछ नहीं बोल रहे हैं ये तो मात्र एक मानवीय भूल है सरल शब्दों में कहें तो जनाब यह गलती से मिस्टेक है.

विज्ञापन
बैनर में शहर को स्वच्छता में नंबर 1 बनाने की बात भी लिखी गई है. मगर जिनके द्वारा यह संदेश आमजनों को पहुंचाया जा रहा है उनके व्यवस्था का क्या हाल है ये आप बैनर नीचे की तस्वीर को देख कर सहज अंदाजा लगा सकते हैं. जहां कचड़ों का अंबार लगा पड़ा है. वहीं संबंधित महकमा केवल बैनर पोस्टर के जरिए शहर को स्वच्छ बनाने में जुटा हुआ है. कचड़ों का अंबार केवल यहीं नहीं बल्कि शहर के कई स्थलों पर है. जो प्रायः देखने को मिल ही जाता है.
बहरहाल, नगर निगम की यह नरकीय व्यवस्था आखिर कब सुधरेगी यह एक बड़ा सवाल है. क्या केवल बैनर पोस्टर या कागजों के जरिए शहर को स्वच्छ कर लिया जाएगा या इस ओर कोई कारगर कदम भी उठाए जायेंगे. यह सोचनीय विषय है और निगम में पदस्थ अधिकारियों को इस ओर विशेष ध्यान देने की दरकार है, ताकि व्यवस्था में सुधार हो और हमारा शहर स्वच्छ हो. क्योंकि हंगामा खड़ा करना हमारा मकसद नहीं, कोशिश है की सूरत बदलनी चाहिए.