विकाश मिश्रा / आसिफ अंसारी
सरिया(गिरिडीह) : खुदा से प्रेम और इबादत की कोई उम्र नहीं होती। माह ए रमजान में रोजा रख खुदा की इबादत करने में बच्चें भी पीछे नहीं हैं। जिलेभर में काफी संख्या में बच्चे भी बरकत के इस महीने में इबादत कर रहे हैं। खासकर ऐसे बहुत बच्चें हैं जिन्होंने पहली बार रोजा रखा है। वहीं उनके अंदर काफी उत्साह भी देखा जा रहा है। बच्चें कुरआन पाक की तिलावत कर मुल्क में अमन चैन के साथ कोरोना को भगाए जाने की दुआ मांग रहे हैं।
शाइस्ता मुल्क की हिफाज़त की मांग रही दुआ
जिले के सरिया में मोहम्मद अमजद की 7 वर्षीय पुत्री शाइस्ता सना ने पहली बार रोजा रखा है। शाइस्ता एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा 2 की छात्रा है। शाइस्ता ने बताया कि उन्होंने कोरोना महामारी से मुल्क की हिफाजत की दुआ अपने रब से मांगी है।
घर के बड़ों से मिलती है सीख
वहीं मोहम्मद आदिल के 13 वर्षीय पुत्र मोहम्मद जाहिद भी रोजा रख रहे हैं। जाहिद का कहना है कि अल्लाह को याद करने की प्रेरणा घर के बड़ों से मिलती है। कहा कि पूरे महीने भर इबादत की कोशिश करूंगा।
ये भी रख रहे हैं रोजा
इसके साथ ही मधवाडीह निवासी 8 वर्षीय फव्वाद आलम, केसवारी निवासी 11 वर्षीय मोहम्मद तनवीर भी रोजा रख रहे हैं। वहीं मो. जाकिर की 8 वर्षीय पुत्री शाइमा, मोहम्मद मंसूर की 9 वर्षीय पुत्री चांदनी परवीन ने भी पहली बार रोजा रखा है। क्षेत्र में कई ऐसे बच्चें है जो रोजा रख खुदा की इबादत कर रहे हैं।
इबादत का खास महत्व
रमजान वह महीना है जिसमें अल्लाह तआला ने अपनी पाक किताब कुरआन शरीफ को बन्दों की रहनुमाई के लिए इस जहां में उतारा। मान्यता है कि इस पाक महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं व दोजख के दरवाजे बन्द हो जाते हैं। इसलिए रमजान महीने में इबादत का ख़ास महत्व माना गया है।