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चुनाव से पहले भी और शपथ के बाद भी… हेमंत सोरेन सरकार और केंद्र के बीच 1.36 लाख करोड़ का क्या विवाद?

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झारखंड में सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष के ‘भ्रष्टाचार’ के आरोपों को हेमंत सोरेन ने मात दी और राज्य के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. उन्होंने गुरुवार को पदभार भी संभाल लिया. शपथ लेने के बाद उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित किया और स्टीफन मरांडी को झारखंड विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर घोषित कर दिया. वहीं, शपथ लेते ही सीएम सोरेन के निशाने पर केंद्र की सरकार आ गई और उसके ऊपर बकाया को वसूलने के लिए कानूनी एक्शन लेने की बात कही है.

हेमंत सोरेने ने झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान 1.36 लाख करोड़ रुपए का बकाया वसूलने के लिए केंद्र से हाथ जोड़कर अपील की थी कि उसके बकाया को चुकाया जाए. अब सत्ता पर फिर से काबिज होने के बाद सीएम सोरेन एक्शन मोड में दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने अपने इरादे जाहिर भी कर दिए हैं. हाथ जोड़कर अनुरोध करने के बमुश्किल 25 दिन बाद सीएम सोरेन ने कोयला बकाया वसूलने के लिए कानूनी एक्शन की चेतावनी दे दी है.

हाथ जोड़कर सीएम ने मांगी रकम
सोरेन ने अपनी मौजूदा सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘केंद्र के पास लंबित राज्य के 1.36 लाख करोड़ रुपए वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी.’ हालांकि सीएम सोरेन ने बात कैबिनेट मीटिंग में हुए फैसले के दम पर कही है, जबकि दिन में किसी भी मंत्री ने शपथ नहीं ली. केवल सोरेन ने ही सीएम पद की शपथ ली.

हेमंत सोरेन ने 2 नवंबर को ट्वीट करते हुए लिखा था कि गृह मंत्री और प्रधानमंत्री से करबद्ध प्रार्थना है कि झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपए लौटा दें. झारखंड के विकास के लिए यह राशि बेहद जरूरी है. सीएम ने बीजेपी नेताओं से अपील करते हुए कहा था कि बीजेपी सांसदों से भी अपील है कि झारखंड के इस बकाये को दिलाने में उनकी मदद करें.’ यही नहीं, सीएम लगातार चुनावी रैलियों में केंद्र पर बकाया का जिक्र कर उसे घेर रहे थे. सोरेन ने इस बात पर जोर दिया कि कोल इंडिया जैसी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास बकाया राशि राज्य के अधिकार क्षेत्र में आती है और दावा किया कि भुगतान न किए जाने से झारखंड के विकास को बड़ी क्षति हो रही है.

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सीएम सोरेन केंद्र पर क्या लगा चुके हैं आरोप?
हेमंत सोरेन ने बकाये की डिटेल देते हुए बताया, ‘कुल बकाया राशि लगभग 136042 करोड़ रुपए है. इसमें शामिल हैं… वॉश्ड कोयला रॉयल्टी के रूप में 2900 करोड़ रुपए, पर्यावरण मंजूरी सीमा उल्लंघन के लिए 3200 करोड़ रुपए, भूमि अधिग्रहण मुआवजे के रूप में 42142 करोड़ रुपए हैं. इस पर सूद की रकम 60 हजार करोड़ रुपए है. इस बकाया राशि के कारण राज्य में अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला और विकास, स्वच्छ पेयजल शामिल है.’

उन्होंने कहा, ‘बच्चों, बुजुर्ग, किसान, मजदूर, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, विस्थापित और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों तक योजनाओं को लागू करने में कठिनाई हो रही है. झारखंड एक अल्प विकसित राज्य है, जो संसाधनों की कमी के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है. संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए इस राशि की जरूरत है.’

जेएमएम के नेता कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय पीठ ने राज्य के पक्ष में फैसला दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि खनन और रॉयल्टी शुल्क वसूलने का अधिकार राज्य को है. ये भी कहा है कि रॉयल्टी एक कर नहीं है और इसलिए इस पर कोई सीमा नहीं लगाई जा सकती है. इसलिए पीएम मोदी से अनुरोध है कि इस मामले में हस्तक्षेप करें और कोयला कंपनियों को बकाया राशि भुगतान करने का निर्देश दें. जब तक राशि भुगतान नहीं हो जाती तब तक कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों को ब्याज राशि का भुगतान करना चाहिए या कोल इंडिया के खाते से राज्य के खाते में सीधे क्रेडिट किया जाना चाहिए. यह राशि झारखंड के लोगों के कल्याण के लिए अधिक जरूरी है.’

चुनाव जीतने के बाद पीएम से मिले सोरेन
वहीं, झारखंड चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री ने पहली आधिकारिक मुलाकात मंगलवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की थी. इस दौरान उन्होंने राज्य के कई मसलों पर चर्चा की और प्रधानमंत्री को अपने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता दिया था.

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