फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देश पर गिरिडीह में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा गिरिडीह में चिन्हित 48 सरकारी और गैर विद्यालयों में फाइलेरिया रोग से बचाव को लेकर ट्रांसमिशन मूल्यांकन सर्वेक्षण करवाया गया इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा तीन टीमों का गठन किया गया था। जिनको 1548 जांच कीट उपलब्ध करवाया गया था।
क्रमशः A ग्रुप में शामिल जांच टीम का नेतृत्व एस आई सुबोध कुमार सिंह ने किया, क्रमशः B ग्रुप में शामिल जांच टीम का नेतृत्व एकाउंट मैनेजर विमल पाठक ने किया।वही क्रमशः C ग्रुप में शामिल जांच टीम का नेतृत्व प्रोग्राम मैनेजर ओम प्रभाकर ने किया।ट्रांसमिशन मूल्यांकन सर्वेक्षण के दौरान चिन्हित 48 विधालय के 76 स्कूली बच्चों का जांच रिपोर्ट पोजेटिव पाया गया।वही 1466 बच्चों का रिपोर्ट नगेटिव पाया गया।
बताया गया कि इस सर्वेक्षण का उद्देश्य पिछले दिनों स्कूलों में आईडीए-एमडीए राउंड में बच्चों को खिलाई जा रही फाइलेरिया रोधी दवा के संरचना का मूल्यांकन करना है और पता लगाना है कि विद्यालय में कितने प्रतिशत बच्चे फाइलेरिया रोग से ग्रसित है।गौरतलब है की लिंफेटिक फाइलेरियासिस को आम बोलचाल भाषा में फाइलेरिया या हाथीपांव कहते हैं यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। फाइलेरिया के सामान्यतः कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं लेकिन बुखार,बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आसपास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है पैरों और हाथों में सूजन,हाथीपांव से हाइड्रोसिल में सूजन की समस्या सामने आती है, बीमारी से बचने के लिए सभी को अपने घरों के चारों तरफ साफ सफाई रखने के साथ मच्छरदानी का उपयोग व मच्छरों से बचाव के उपाय कर इसके बचा जा सकता है।