गिरीडीह : अभिनव साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। गिरिडीह के अशोक नगर स्थित सुमन वाटिका में लेखक डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित इस साहित्यिक संगोष्ठी में डॉ छोटू प्रसाद, राजेश पाठक, बद्री दास, उदय शंकर उपाध्याय, नवीन कुमार सिन्हा, शंकर पांडेय, रामदेव विश्वबंधु, अनंत शक्ति, दीपक कुमार, हलीम असद, प्रभाकर कुमार, प्रदीप गुप्ता, रामजी यादव, लवलेश वर्मा, अनंत ज्ञान, मुख्तार हुसैनी, डॉ सुधाकर और रीतेश सराक शामिल हुए।
संगोष्ठी की शुरुआत में लवलेश वर्मा ने डॉ छोटू प्रसाद की चर्चित कहानी ‘गंगिया के सपने’ का पाठ किया। इसके बाद उपस्थित सभी साहित्य प्रेमियों ने कहानी पर अपनी अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी की। रामदेव विश्वबंधु ने कहानी को मार्मिक बताते हुए कहा कि यह गिरिडीह की एक सच्ची दुखद घटना पर आधारित है, इसलिए पाठकों के मन को झकझोरती है। लेखक राजेश पाठक ने कहा कि कहानी की मुख्य पात्र गंगिया गिरिडीह जिले के पीरटांड़ इलाके की एक आदिवासी लड़की है जो गिरिडीह शहर में आकर एक अफसर के यहां घरेलू नौकरानी का काम करती थी। लेकिन अफसर द्वारा उसके शारीरिक और मानसिक शोषण के बाद वह विक्षिप्त हो जाती है। गंगिया की सच्ची घटना को बहुत संवेदनशील तरीके से डॉ छोटू प्रसाद ने कहानी में पिरोया है और सभ्य समाज को एक संदेश देने का कार्य किया है। उदय शंकर उपाध्याय ने कहानी को काफी सशक्त बताते हुए कहा कि लेखक अपनी बात पाठकों तक पहुंचाने में सफल हुए हैं। नाटय लेखक बद्री दास ने कहानी की तुलना फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित प्रसिद्ध कहानी ‘मारे गए गुलफाम’ से की और कहा कि कहानी काफी पठनीय और संदेश देने वाली है। लवलेश वर्मा ने गंगिया के सपने कहानी पर विस्तृत समीक्षा की। इनके अलावा नवीन कुमार सिन्हा, शंकर पांडेय, प्रभाकर कुमार, हलीम असद, रामजी यादव, प्रदीप गुप्ता ने भी कहानी पर चर्चा की। युवा लेखक अनंत ज्ञान ने धनबाद के लेखक डॉ महेंद्रनाथ गोस्वामी की समीक्षा को पढ़कर सुनाया। संगोष्ठी का संचालन रीतेश सराक ने किया।कहानी के लेखक डॉ छोटू प्रसाद के लेखकीय वक्तव्य के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ।