Samridh Samachar
News portal with truth
- Sponsored -

- Sponsored -

एक ऐसा गांव जहां नहीं खेली जाती है होली

854
Below feature image Mobile 320X100

Holi 2023: गुजरात में तमाम त्योहारों के साथ होली का पर्व भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन गुजरात में एक ऐसा गांव भी है। जहां पर पिछले काफी सालों से होली खेलने की प्रथा नहीं है। लोगों इस त्योहार का दिन सन्नाटे में मनात हैं पूरे गांव में न तो होली जलती है और न ही कोई होली खेलता है।

प्रकाश के पर्व दीवाली की तरह रंगों के पर्व अपनी अहमियत है। रंगों के उत्सव में जहां पूरा देश सराबोर रहता है तो वहीं गुजरात के एक ऐसा गांव भी है जहां पर पिछले 200 साल से होली नहीं मनाई जाती है। राजस्थान की सीमा पर बसा यह गुजरात का इकलौता गांव है, जहां होली के दिन मातम पसरा रहता है। होली ही हंसी-ठिठोली तो दूर, कोई रंग और अबीर-गुलाल भी नहीं लगाता है। यह कहानी गुजरात के बनासकांठा जिले के डीसा क्षेत्र में आने वाले रामसन गांव की है। गुजरात में तमाम गांवों में जहां होली का शोर होता है तो यहां इस गांव में सन्नाटा रहता है। गांव के होली नहीं मनाने के पीछे अलग-अलग कारण देते हैं, लेकिन गांव के बुजुर्गों की मानें तो होली नहीं मानने का मुख्य कारण ज्योतिषाचार्य की भविष्यवाणी और चेतावनी है। जिसका गांव के लोग 200 बाद भी पालन कर रहे हैं।

कायम हुई नई परंपरा

Saluja gold international school

विज्ञापन

डीसा के रामसन गांव को पौराणिक दृष्टि से रामेश्वर नाम से जाना जाता था। मान्यता है कि भगवान श्री राम ने यहां आकर रामेश्वर भगवान की पूजा-अर्चना की थी। 200 साल पहले तक इस गांव में होली मनाई जाती थी, लेकिन बाद के कुछ सालों में होली पर गांव में अचानक आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया। आग एक-दो साल लगी तो उसे घटना और दुर्घटना माना गया है, लेकिन कई सालों तक हर बार होली पर जब आग लगने लगी तो उस समय के लोगों ने ज्योतिषाचार्य से इसके पीछे के वजह बताने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि श्री राम के अलावा कोई भी अगर होलिक दहन करेगा तो यही हश्र होगा।
उन्होंने गांव वालों को होली नहीं जलाने के लिए कहा। इसके बाद से गांव में एक नई परंपरा कायम हो गई। जो 200 साल बाद भी कायम है।

सिर्फ मंदिर में पूजा

200 पहले बंद होलिका दहन अतीत की बात बन चुकी है। अब होलिका दहन के दिवस यहां मंदिर में आए हवनकुंड में सिर्फ धूप जलाकर पूजा होती है। इसके अलावा और कुछ करने का रिवाज नहीं है। दूसरी जगहों के लोग इस गांव वालों की आस्था और अधंविश्वास से जोड़ते हैं लेकिन गांव का कोई भी व्यक्ति गांव होली जलाने और खेलने की कोशिश नहीं करता है। डीसा के इस गांवा की आबादी अब 10 हजार के पास है, फिर भी गांव के लोग आज भी अनुशासन के तौर होली के त्योहार को नहीं मनाते हैं। होलिका दहन, धुलेटी के दिन रंगों में सराबोर होने और परंपरागत मिठाईयां खाने की बातें इस गांव के लिए अनजनी सी हैं।

href="https://chat.whatsapp.com/IsDYM9bOenP372RPFWoEBv">

ADVERTISMENT

--------------------- विज्ञापन --------------------- --------------------- विज्ञापन ---------------------

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Before Author Box 300X250