होली में रंग खेलने पहुंची प्रेमिका की प्रेमी ने भर दी मांग, फिर परिवारवालों को करवाना पड़ा विवाह

Patna: शोले फिल्म का वो गीत बड़ा मशहूर हुआ। याद है न आपको…। होली के दिन दिल खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं। गिलेशिकवे भूल कर दोस्तों, दुश्मन भी गले मिल जाते हैं। लेकिन यहां दुश्मन नहीं। यहां तो दोस्त ही थे। जिन्होंने होली के दिन को चुना एक दूजे के लिए।

भागलपुर जिला अंतर्गत कहलगांव प्रखंड के बंशीपुर गांव के राहुल और ज्योति की कहानी है। कहानी फिल्मी जैसी है, दरअसल ज्योति करीब एक साल पहले राहुल को दिल दे बैठी थी। छिप-छिपकर मिलना जुलना जारी था। लुकाछिपी का खेल बहुत दिन तक नहीं चला था। धीरे-धीरे पूरे गांव में यह प्रेम कहानी सभी की जुबान पर चढ़ गई। होली के दिन ज्योति अपनी सखियों के साथ प्रेमी राहुल के साथ रंग खेलने के लिए उसके घर पहुंच गईं।

ज्योति देख राहुल भी खुद को नहीं रोक पाया। दोनों ने पहले एक दूसरे की गालो को रंगा। फिर दिल के रंग को इतना गहरा लगा लिया फिर एक दूजे के साथ होने के लिए ठान ली। फिर क्या था। राहुल ने सिंदूर ज्‍योति की मांग में भर दी। बात दोनों के परिवार तक पहुंच गई। स्वजातीय होने के कारण दोनों परिवार को कोई परेशानी नहीं हुई। गांव के लोग एकत्र हो गए। सभी ने दोनों के विवाह की सहमति जता दी।