मीडिया में खबर आने के बाद वनकर्मियों ने सिर्फ लकड़ी जब्त कर की खानापूर्ति, एक दिन बाद क्यों हुई लकड़ी की जब्ती, इस सवाल पर साधी चुप्पी

गावां :  गावां वनप्रक्षेत्र के गदर में पावर ग्रीड के पास लकड़ी लदा एक ट्रैक्टर को पकड़ कर उससे अवैध उगाही किये जाने की खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद वन कर्मियों ने मंगलवार को लकड़ी को जब्त कर उसे गावां वन परिसर लाया गया है। इससे सोमवार को गावां के कुछ वनरक्षियों द्वारा गदर पावर ग्रिड के पास सुखी लकड़ी लदे एक ट्रैक्टर को पकड़ कर उगाही किए जाने की चर्चा सही साबित हो रही है।

बता दें कि सोमवार की सुबह नौ से दस बजे के बीच वनरक्षी दिनेश कुमार दास, हीरालाल पंडित और संजयकांत यादव द्वारा गावां के गदर पावर ग्रिड के पास गंभार की सुखी लकड़ी लदा एक ट्रैक्टर को रोका गया था और उसे साईड में खड़ा कर उससे अवैध उगाही कर ट्रैक्टर को शाम लगभग पांच बजे लकड़ी सहित छोड़ दिया गया था। इसकी भनक मीडिया कर्मियों को हुई, तो मीडिया के लोग गावां रेंजर अनिल कुमार और वनपाल जयप्रकाश महतो से इस बारे में पुछा तो उन दोनों पदाधिकारियों ने इस बारे में कोई जानकारी होने से मना कर दिया था। वनपाल ने कहा कि जिन वरक्षियों का नाम आ रहा है वे लोग कहीं भी आज लकड़ी पकड़े हैं, ऐसा कोई जानकारी हमें शाम छह बजे तक नहीं दिया है। इसके बाद वनरक्षी दिनेश दास से भी इस बारे में पुछा गया तो, उन्होनें कोई ट्रैक्टर नहीं पकड़ने की बात कही थी।
हलांकि इस संबंध में खबर मीडिया में आने के बाद मंगलवार को वनरक्षियों ने उसी लकड़ी को जब्त कर गावां वन प्रक्षेत्र कार्यालय परिसर ले आई है और ट्रैक्टर के बारे में बताया जा रहा है कि वह वनरक्षियों को देखकर लकड़ी डंप कर भाग गया है। अब यहीं मामला संदेहास्पद हो रहा है कि आखिर वनरक्षियों को देखकर सोमवार की सुबह दस बजे के आसपास ही ट्रैक्टर लकड़ी डंप कर भाग गया था, तो वनरक्षियों ने इस बात की जानकारी अपने वरीय अधिकारी वनपाल या रेंजर को क्यों नहीं दिया। उनलोगों द्वारा लकड़ी जब्त करने की जानकारी सोमवार देर शाम तक नहीं दिया गया। जब खबर मीडिया में आई तो, वनरक्षी दूसरे दिन लकड़ी को जब्त कर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं।
क्या कहते हैं रेंजर
गावां रेंजर अनिल कुमार ने कहा कि वनरक्षियों द्वारा अगर ट्रैक्टर को सौदेबाजी कर छोड़ा गया है, तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। ट्रैक्टर अगर वनरक्षियों को चकमा देकर भाग भी गया था, तो इसकी सूचना तुरंत वरीय अधिकारी को किस परिस्थिति में नहीं दी गई। यह जांच का विषय है। पूरे मामले की स्वयं जांच करेगें अगर वनरक्षियों की गलती सामने आई, तो उन सभी पर कार्रवाई निश्चित है।