नीतीश सरकार ने जिस पर दर्ज कराया था ‘चावल घोटाले’ का केस, अब वही हैं बिहार के कृषि मंत्री

बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल का बंटवारा क्या हुआ, विवाद शुरू हो गया. स्थिति ये है कि रोजाना नये खुलासे से महागठबंधन की सरकार को सियासी झटके लग रहे हैं. शपथ ले चुके मंत्रियों के बारे में हो रहे खुलासे से महागठबंधन की सरकार असहज है. ताजा मामला नीतीश सरकार में कृषि मंत्री बने सुधाकर सिंह से जुड़ा हुआ है. जिन पर नीतीश कुमार के अधिकारियों ने ही करोड़ों के चावल घोटाले का केस दर्ज किया था, अब वही सुधाकर सिंह कृषि मंत्री के रूप में सहजता के साथ काम करते दिख रहे हैं.

दरअसल, नीतीश कैबिनेट के मंत्री सुधाकर सिंह पर दो राइस मिल के माध्यम से सरकार के 5 करोड़ 31 लाख एक हजार 286 रुपये के घोटाले के आरोप में  प्राथमिकी दर्ज है. राज्य खाद्य निगम के डीएम ने 27 नवंबर 2013 को सुधाकर सिंह पर रामगढ़ थाने में केस दर्ज किया था. इस मामले में राज्य खाद्य निगम के डिस्ट्रिक्ट मैनेजर दिनेश प्रसाद सिंह ने सुधाकर सिंह के खिलाफ घोटाले का केस दर्ज करने के लिए दो आवेदन दिया था. दोनों राइस मिल के संचालक वर्तमान कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ही थे. दोनों राइस मिलों पर चावल के गबन का आरोप था.

जिला प्रबंधक दिनेश सिंह ने सुधाकर सिंह के खिलाफ 3 हजार 653 क्विंटल चावल, जिसका मूल्य 69 लाख 52 हजार 134 रुपये है, गबन करने का आरोप लगाते हुए रामगढ़ थाने में मामला दर्ज कराया था. इसमें सुधाकर सिंह की राइस मिलों ने राज्य खाद्य निगम कैमूर के साथ समझौता किया था. जिसमें 11 हजार 900 क्विंटल धान का उठाव हुआ था. जिसमें 6 हजार 973 क्विंटल खाद्य निगम को देना था. लेकिन सुधाकर सिंह ने तय सीमा से काफी कम यानी लगभग चार हजार क्विंटल चावल ही एफसीआई गोदाम में जमा किया.

बता दें कि सुधाकर सिंह दूसरी फर्म सोन वैली राइस मिल के भी मालिक थे. उनके द्वारा 24 हजार 249 क्विंटल चावल रख लिया गया. जिसके बाद राज्य खाद्य निगम ने वर्तमान कृषि मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. जिला प्रबंधक के पत्र में सुधाकर सिंह पर 4 करोड़ 61 लाख 49 हजार 152 रुपये के गबन की बात कहते हुए आरोप लगाया गया था और प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह किया गया था. सुधाकर सिंह के खिलाफ वर्तमान में 5.31 करोड़ के गबन का केस सीजेएम वन के कोर्ट में चल रहा है. वहीं इस मामले को सुधाकर सिंह हल्का बताते हुए गोलमोल जवाब देते हैं और कहते हैं कि सार्वजनिक जीवन में आरोप लगते रहते हैं. तथ्यों को देखना चाहिए. ये सब घोटाला हमने नहीं किया है, अधिकारियों ने किया है.