कोडरमा : अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर 21 सितंबर को यादगार शाम का गवाह बन गया। पिछड़े राज्य झारखंड की बेटी काजल,जो कभी बाल मजदूर थी, वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा को लेकर अपनी बात रखी। मौका संयुक्त राष्ट्र की ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट का था। कोडरमा के डोमचांच प्रखंड की 20 साल की काजल ने कहा कि बालश्रम और बाल शोषण के खात्मे में शिक्षा की सबसे बडी भूमिका है। बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर देने होंगे और इसके लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से अधिक प्रयास करने चाहिए। इसके समानांतर आयोजित लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन समिट में नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए काजल ने बालश्रम,बाल विवाह,बाल शोषण और बच्चों की शिक्षा को लेकर अपनी आवाज बुलंद की। उसने कहा ‘बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा चाभी के समान है। इससे ही वे बालश्रम,बाल शोषण,बाल विवाह और गरीबी से बच सकते हैं। इस दौरान नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लीमा जीबोवी,स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन लोवेन,जानी-मानी बाल अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी समेत कई वैश्विक हस्तियां मौजूद थीं। बता दें कि लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन दुनियाभर में अपनी तरह का इकलौता मंच है,जिसमें नोबेल विजेता,वैश्विक नेता बच्चों के मुद्दों को लेकर जुटते हैं और भविष्य की कार्ययोजना बनाते हैं। यह मंच नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की देन है। इसका मकसद एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है,जिसमें सभी बच्चे सुरक्षित,आजाद,स्वस्थ रहें और उन्हें शिक्षा मिले।
कौन है काजल व क्या कहती है?
आज भले ही काजल बाल मित्र ग्राम में बाल पंचायत अध्यक्ष है और बतौर बाल नेता कार्यरत है। लेकिन वह कभी अभ्रक खदान में बाल मजदूर थी।
बचपन में काजल माइका माइंस में ढिबरा चुनने का काम करने को विश थी,ताकि अपने परिवार की आर्थिक मदद कर सके। 14 साल की उम्र में बाल मित्र ग्राम ने उसे ढिबरा चुनने के काम से निकालकर स्कूल में दाखिला करवाया। इसके बाद से काजल कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के फ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम की गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेने लगी। बतौर बाल मजदूर काजल ने अपने अनुभव साझा किया और कहा कि बालश्रम और बाल विवाह का पूरी दुनिया से समूल उन्मूलन बहुत जरूरी है। क्योंकि यह दोनों ही बच्चों के जीवन को बर्बाद कर देते हैं। यह बच्चों के कोमल मन और आत्मा पर कभी न भूलने वाले जख्म देते हैं।