Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है. मकर संक्रांति का पर्व भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के बाद मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान की परंपरा सदियों से चली आ रही है. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार, साल 2025 में भगवान सूर्यदेव 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. मकर राशि में उनका प्रवेश 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर होगा. ऐसे में 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी. मकर राशि शनि देव का घर माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर संक्रांति पर पिता सूर्य का प्रवेश अपने पुत्र के घर में होता है.
इस दिन देवी-देवताओं को लगता है खिचड़ी का भोग
मकर संक्रांति पर स्नान और दान के साथ-साथ देवी देवताओं को तिल, गुड़ और खिचड़ी के भोग की भी मान्यता है. खिचड़ी का नवग्रहों से भी संबंध बताया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन किन देवी-देवताओं को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. साथ ही नवग्रहों से खिचड़ी का क्या संबंध है.
खिचड़ी का नवग्रहों से क्या है संबंध?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जो भी मकर संक्रांति पर खिचड़ी का सेवन करता है उसपर नवग्रहों की कृपा बरसती है. हिंदू धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि खिचड़ी में जो चीजें इस्तेमाल की जाती हैं, उनका संबंध नवग्रहों से है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति होती है. खिचड़ी में पड़ने वाली काली दाल शनि और राहू-केतु के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. खिचड़ी में पड़ने वाली हल्दी से बृहस्पति और हरि सब्जियों से बुद्ध का रिश्ता है. वहीं खिचड़ी का गर्माहट से सूर्य और मंगल का रिश्ता बताया गया है.
इन देवताओं लगता है खिचड़ी का भोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान सूर्य ग्रहों के राजा माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र में भगवान सूर्य को आत्मा का कारक बताया गया है. मान्यताओं के अनुसार, जो भी मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाता है उसे उनकी कृपा मिलती है. साथ ही सेहत भी अच्छी रहती है.
हिंदू धर्म ग्रंथों में शनि देव को न्याय का देवता कहा गया है. उन्हें भी मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग लगाने की मान्यता है. शनि देव को काली उड़द की दाल की खिचड़ी में काला तिल डालकर भोग लगाना चाहिए.