सराक जैन समाज का इतिहास गौरवशाली : सुयशसूरी

जैन आचार्य का हुआ भव्य चातुर्मास प्रवेश

मधुबन : सराक जैन आचार्य सुयश सूरीश्वर महाराज का शिखरजी स्थित सराक भवन में भव्य चातुर्मास प्रवेश संपन्न हुआ। झारखंड और पश्चिम बंगाल के विभिन्न गांवों से आए सराक जैन समाज के पुरुषों और महिलाओं ने गाजे बाजे के साथ पूरे धूमधाम से श्वेताम्बर सोसायटी परिसर से भव्य वरघोडा यात्रा निकाली और सराक भवन में विधि विधान के साथ आचार्य महाराज का मंगल प्रवेश कराया।

इंदौर की माणिभद्र भक्त सेवा समिति और सराक जैन संसद के सदस्यों ने सपरिवार आचार्य महाराज का अभिनंदन अभिषेक किया। कोलकाता से पधारे सुबोध श्यामसुखा और उनकी पुत्री यशिका ने चातुर्मास सेवा और अठारह अभिषेक पूजा का लाभ लिया। दिन भर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए गए। आचार्य सुयश सूरीश्वर महाराज ने अपने प्रवचन में चातुर्मास के महत्व के बार में बताया। उन्होंने कहा कि झारखंड, बंगाल और उड़ीसा में निवास करने वाला सराक समुदाय इस इलाके का प्राचीन मूलवासी जैन समाज है। इस अल्पसंख्यक समाज का इतिहास काफी गौरवशाली है। सराक समाज को अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने के लिए समग्र रूप से प्रयास करना होगा।

रजत महोत्सव में सुबोध शाह, साधन माजी, अरुण माजी, पंकज मंडल, चित्तरंजन माजी, संदीप माजी, रितेश सराक, नारायण सराक, दिलीप सराक, हाराधन माजी, काजल सराक, देवाशीष माजी, गंभीर सराक, निमाई माजी, गुणधर, सुखमय माजी, पंकज माजी, असित, भीष्म सराक, संजय सराक, कृष्णा सराक, सुदर्शन, विनय समेत सैकड़ों सराक जैन सदस्य उपस्थित हुए।