श्रद्धालुओं के उपस्थिति के बिना हुई पूजा
गिरिडीह : रथ यात्रा के पावन अवसर पर शहर के सी०एम०आर० स्थित पुरातन शिवालय गिरिडीह में सोमवार को रथ यात्रा महोत्सव मनाया गया। कोरोना के बढ़ते प्रभाव और झारखंड सरकार के आदेशानुसार इस वर्ष भी भगवान जगन्नाथ का रथ नगर भ्रमण के लिए नहीं निकाला गया। मंदिर प्रांगण में पूरे विधि- विधान और मंत्रोच्चारण के साथ भगवान जगन्नाथ,बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा-अर्चना धूमधाम से की गयी।
मंदिर के पुजारी पंडित सतीश मिश्रा ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को रथ यात्रा का आयोजन होता है। इस अवसर पर भगवान श्री जगन्नाथ,बलभद्र जी और बहन सुभद्रा के विग्रह अर्थात काष्ठ की मूर्तियों की पूजा होती है। पूजा- अर्चना,आरती के पश्चात भगवान को भोग लगाया जाता है।इस भोग को खाने से कई पापों से मनुष्य को छुटकारा मिल जाता है।
पूजा के पश्चात भगवान जगन्नाथ विश्राम करने अपने मौसी बाड़ी अर्थात गांधी चौक स्थित छोटकी काली मंडा में विराजित किये गए। यहां सात दिनों तक भक्त उनका दर्शन करते हैं।पूरे विधि विधान के साथ पूजा-पाठ होता है।तत्पश्चात दशमी तिथि को तीनों वापस अपने स्थान पर आ जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि कलयुग में भगवान के दर्शन मात्र से यज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है। रथयात्रा का यह उत्सव शरीर और आत्मा के मेल की ओर संकेत करता है।
उत्सव को सफल बनाने में दीपक यादव,नागेंद्र मिश्रा,सुशील सुराणा,अमित मिश्रा,राजेंद्र लाल बरनवाल,नीतीश मिश्रा,कृष्णा कुमार आदि उपस्थित थे।